मौत है ज़िंदगी ज़िंदगी मौत है हर-नफ़स मौत है हर घड़ी मौत है मैं अंधेरों में खो जाऊँ मुमकिन नहीं एक परवाने की रौशनी मौत है इस लिए शाद रहता हूँ हर हाल में मेरे दुश्मन को मेरी ख़ुशी मौत है कोई तलवार ख़ंजर न तीर-ओ-तबर हुरमुला के लिए इक हँसी मौत है ख़ामुशी आक़िलों की है ख़ूबी मगर बाज़ औक़ात पर ख़ामुशी मौत है साबिरों के लिए हर तरफ़ है हयात ज़ालिमों के लिए मौत ही मौत है एक कड़वी हक़ीक़त कहें और कहें शहद से भी सिवा चाशनी मौत है क़ैद-ए-ग़ुर्बत से 'आरिफ़' निकल जाइए है ख़बर आप को मुफ़लिसी मौत है