मय हो अब्र ओ हवा नहीं तो न हो दर्द हो गर दवा नहीं तो न हो हम तो हैं आश्ना तिरे ज़ालिम तू अगर आश्ना नहीं तो न हो दिल है वाबस्ता तेरे दामन से दस्त मेरा रसा नहीं तो न हो हम तो तेरी जफ़ा के बंदे हैं तुझ में रस्म-ए-वफ़ा नहीं तो न हो आस्ताँ पर तो गिर रहे हैं अगर तेरी मज्लिस में जा नहीं तो न हो हम तो हैं साफ़, बद-गुमाँ मेरे तेरे दिल में सफ़ा नहीं तो न हो दिल को इक्सीर हैगी तेरी निगाह हवस-ए-कीमिया नहीं तो न हो हम तो हाशा नहीं किसी से बुरे कोई हम से भला नहीं तो न हो तालिब-ए-वस्ल कब तलक रहिए हो तो हो जाए या नहीं तो न हो 'हातिम' अब किस की मुझ को परवा है कोई मिरा जुज़ ख़ुदा नहीं तो न हो