मय पिए मस्त है सरशार कहाँ जाता है इस शब-ए-तार में ऐ यार कहाँ जाता है तेग़-बर-दोश सिपर हाथ में दामन-गर्दां ये बना सूरत-ए-खूँ-ख़्वार कहाँ जाता है दिल को आराम नहीं एक भी दम याँ तुझ बिन तू मिरे पास से दिलदार कहाँ जाता है एक आलम अभी हैरत-ज़दा कर आया तू फिर अब ऐ आईना-रुख़्सार कहाँ जाता है जाम-ओ-मीना-ओ-मय-ओ-साक़ी-ओ-मुतरिब हम-राह इस सर-अंजाम से 'बेदार' कहाँ जाता है