माया-ए-नाज़-ए-राज़ हैं हम लोग महरम-ए-राज़-ए-नाज़ हैं हम लोग बज़्म-ए-दिल में दिया न ऐश को बार साहिब-ए-इम्तियाज़ हैं हम लोग हम से मिलती है बर्क़-ए-तूर को दाद वो तबस्सुम-नवाज़ हैं हम लोग अक़्ल आजिज़ है बे-ख़बर है होश चश्म-ए-बद-दूर राज़ हैं हम लोग हश्र-ए-उम्मीद से मुराद हैं हम गिला-हा-ए-दराज़ हैं हम लोग तेरी नाज़-आफ़रीनियाँ हैं गवाह कि सरापा नियाज़ हैं हम लोग हुस्न बे-जल्वा कुछ सही 'फ़ानी' जल्वा-ए-जल्वा-साज़ हैं हम लोग