मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है साक़ी-ए-मस्त अजब कैफ़ तिरे जाम में है देखिए फ़ैसला-ए-यास-ओ-तमन्ना क्या हो सुब्ह-ए-महशर की झलक तीरगी-ए-शाम में है निगह-ए-मस्त का फिर ज़ोहद-शिकन दूर चले फिर ढले बादा-ए-सरजोश जो इस जाम में है छा गए शेवा-ए-बेदाद पे दिलकश नग़्मे मैं क़फ़स में हूँ कि सय्याद मिरे दाम में है मुतमइन ख़ुद ही नहीं फिर असर-अंदाज़ हो क्या पंद-ए-वाइज़ अभी अंदेशा-ए-अंजाम में है आरज़ू लुत्फ़ तलब इश्क़ सरासर नाकाम मुब्तला ज़िंदगी-ए-दिल इन्हीं औहाम में है