मायूस-ए-शाम-ए-ग़म तुझे इस की ख़बर भी है तारीकियों की आड़ में नूर-ए-सहर भी है मुमकिन नहीं है दीदा-ओ-दानिस्ता तर्क-ए-इश्क़ मजबूर सिर्फ़ दिल ही नहीं है नज़र भी है ये मुनहसिर है आप पे जैसे भी देखिए ना-मो'तबर भी है वो नज़र मो'तबर भी है तू ही बता दे मुझ को कि सज्दे कहाँ करूँ माबैन-ए-दैर-ओ-का'बा तिरा संग-ए-दर भी है तेरे जुनून-ए-शौक़ ने क्या गुल खिलाए हैं बेगाना-ए-बहार थे कुछ गुल ख़बर भी है सब रह-रव-ए-हयात हैं लेकिन नए नए मंज़िल वही है और वही रहगुज़र भी है उस के करम का शुक्र कहाँ तक अदा हो 'शौक़' सोज़िश भी है ख़लिश भी है दर्द-ए-जिगर भी है