मायूसी में दिल बेचारा सदियों से ढूँड रहा है एक सहारा सदियों से एक ही बात अबस दोहराए जाता है तन में चलता साँस का आरा सदियों से 'हीर' अगरचे मैं ने अपनी पाली है ढूँड रहा हूँ तख़्त हज़ारा सदियों से तुम से कैसे सिमटेगा ये लम्हों में दिल अपना है पारा-पारा सदियों से किस एलान को गूँज रहा है नस-नस में धड़कन धड़कन इक नक़्क़ारा सदियों से कू-ए-मंज़िल-ए-इश्क़ में कोई काम मिले दिल आवारा है नाकारा सदियों से दिल पर क्या हम ने तो जानाँ जान पे भी लिख रक्खा है नाम तुम्हारा सदियों से उस ने दिल के दर्द से पूछा कब से हो दिल से उठ के दर्द पुकारा सदियों से ख़ुश्क पड़ा है आँख के पर्दे पर 'ताहिर' बहर-ए-दर्द का एक किनारा सदियों से