मत बोलियो तू उस से 'जहाँदार' देखना खींचे हुए है आज वो तलवार देखना अबरू-कमाँ से तीर-ए-निगह मार देखना लगती है पार दिल के मिरे यार देखना गिर्यां हूँ एक उम्र से पूछा न यार ने रोता है कौन ये पस-ए-दीवार देखना ता'लीम अश्क-ओ-आह से ली मेरे अब्र ने जो यूँ बरस रहा है धुआँ-धार देखना सर-रिश्ता कुफ़्र-ओ-दीं का हक़ीक़त में एक है जो तार-ए-सुब्हा है सो है ज़ुन्नार देखना यारो मैं कह रहा था कि दिल मत दे दे के दिल आया है तंग क्या ही 'जहाँदार' देखना