मेहरबानी है अयादत को जो आते हैं मगर किस तरह उन से हमारा हाल देखा जाएगा दफ़्तर-ए-दुनिया उलट जाएगा बातिल यक-क़लम ज़र्रा ज़र्रा सब का असली हाल देखा जाएगा आफ़िशियल आमाल-नामा की न होगी कुछ सनद हश्र में तो नामा-ए-आमाल देखा जाएगा बच रहे ताऊन से तो अहल-ए-ग़फ़लत बोल उठे अब तो मोहलत है फिर अगले साल देखा जाएगा तह करो साहब नसब-नामी वो वक़्त आया है अब बे-असर होगी शराफ़त माल देखा जाएगा रख क़दम साबित न छोड़ 'अकबर' सिरात-ए-मुस्तक़ीम ख़ैर चल जाने दे उन की चाल देखा जाएगा