मेरा हो के भी मुझे ग़ैर बताने वाले आ कभी देख मुझे छोड़ के जाने वाले इस नए साल में कुछ भी तो नहीं बदला है तेरा कहते हैं मुझे अब भी ज़माने वाले तेरा और मेरा ये क़िस्सा भी अजब क़िस्सा है रोने लगते हैं उसे सुनने सुनाने वाले मैं न पागल हूँ न बहसी हूँ न ही मतवाला फिर भी मन भर के सताते हैं सताने वाले चंद लोगों ने मोहब्बत का उड़ाया था मज़ाक़ अब मोहब्बत ही बची है न निभाने वाले जाने वालों का भरोसा तो नहीं है 'आबिद' लौट आते हैं मगर लौट के आने वाले