मिरा ख़याल है पाबंद-ए-हसरत-ओ-आज़ार मिरे गुमान में भी तू नहीं सुरूर को पार मिरा तबस्सुम-ए-बे-कैफ़ ख़ंदा-ए-बीमार फ़रोग़-ए-आतिश-ए-दिल शो'ला-ए-चराग़-ए-मज़ार शबाब में भी हूँ बेगाना-ए-नशात-ए-शबाब मिरी बहार है तस्वीर-ए-गुल्सिताँ की बहार अजीब तरह गुज़रती है ज़िंदगी मेरी न इज़्तिराब का आलम न रंग-ए-सब्र-ओ-क़रार ज़रा सी ठेस ग़ज़ब है वो रंज हो कि ख़ुशी कुछ इस क़दर है दिल-ए-कम-नसीब ख़स्ता-ओ-ज़ार इस इब्तिदा की है क्या इंतिहा किसे मालूम अभी तो मौज-ए-क़फ़स में है रंग-ए-काविश-ए-ख़ार किसी से कोई शिकायत नहीं मुझे 'कौकब' मिरी सरिश्त है महज़ूँ मज़ाक़ ख़ुद-आज़ार