जुनून-ए-इश्क़ से हल ये सवाल हो न सका शुऊ'र हो न सका या विसाल हो न सका फ़िराक़-ए-पर्दा-ए-हुस्न-ओ-जमाल हो न सका जुदा नज़र से फ़रोग़-ए-ख़याल हो न सका ज़हे सुरूर-ए-तमन्ना ज़हे नशात-ए-उमीद वफ़ूर-ए-कैफ़-ए-तलब में सवाल हो न सका सितम सितम से झलकती रही बहार-ए-करम कभी जलाल हिजाब-ए-जमाल हो न सका जो अश्क आँख में आया वो मुस्कुराता हुआ दिल-ए-मलूल ख़राब-ए-मलाल हो न सका जराहतों में इज़ाफ़ा तो हो गया ऐ दिल तलाफ़ियों से अगर इंदिमाल हो न सका फ़सुर्दा हो के ग़म-ए-दोस्त जिस से रूठ गया किसी ख़ुशी से वो दिल फिर निहाल हो न सका हिजाब-ए-शेर-ओ-सुख़न में बहाए लाख आँसू मगर फ़रो कभी दिल का उबाल हो न सका