मिरा ख़याल परेशाँ है मेरा घर तन्हा न जाइए मुझे ऐसे में छोड़ कर तन्हा सहर से शाम के ये फ़ासले नहीं कटते उधर है शाम अकेली इधर सहर तन्हा क़रीब रह के भी सदियों का फ़ासला है अभी मैं किस क़दर हूँ तिरे साथ किस क़दर तन्हा हमारे साथ है दुनिया हमारे साथ चलें जनाब-ए-ख़िज़्र न भटकें इधर-उधर तन्हा वो एक लम्हा नहीं जो तिरे तसव्वुर में लरज़ रहा है चराग़-ए-ख़याल पर तन्हा हवा ख़मोश सफ़ीना निढाल दिल ज़ख़्मी खड़ा है पानी में 'शादाँ' कमर कमर तन्हा