मेरा शुमार कर ले अदद के बग़ैर भी मैं जी रहा हूँ तेरी मदद के बग़ैर भी आते हैं रोज़ मेरी ज़ियारत को हादसे मैं दफ़्न हो चुका हूँ लहद के बग़ैर भी हर-चंद शेर ओ शौक़ की बुनियाद है जुनूँ चलता नहीं है काम ख़िरद के बग़ैर भी आँखों को तेरी दीद मयस्सर नहीं मगर दिल जंग कर रहा है रसद के बग़ैर भी इक मुनफ़रिद मक़ाम की हामिल है तेरी ज़ात तू दिल में है क़ुबूल या रद के बग़ैर भी 'सरदार-अयाग़' वक़्त-ए-सफ़र जब अज़ाँ हुई रुकना पड़ा मुझे किसी हद के बग़ैर भी