मेरे अंदर है कमरा तीरगी का दरीचा कोई खोले रौशनी का समुंदर साथ है सदियों से लेकिन वही आलम है मेरी तिश्नगी का ज़रा सी लाओ ख़ुद में ख़ाकसारी असर फिर देखना तुम बंदगी का किसी दिन देख कर आँखें तुम्हारी बनाऊँगी मैं चेहरा ज़िंदगी का मोहब्बत बस मोहब्बत बस मोहब्बत यही इक फ़ल्सफ़ा है ज़िंदगी का वबा हर दिन बदल लेती है चेहरा ख़ुदा जाने क्या होगा इस सदी का लगे है ग़ैर सी 'सरीता' को दुनिया ये जादू है तिरी दीवानगी का