मेरे अंदर का शोर कम कर दे आयतें पढ़ के मुझ पे दम कर दे लोग मुझ को ख़रीदने से रहे आ किसी रोज़ दाम कम कर दे मेरे माथे पे अपने होंटों से इक नई ज़िंदगी रक़म कर दे मैं इसे ख़र्च कर सकूँ खुल कर जब भी ग़म दे मुझे तो जम कर दे एक तेरा ख़याल ही तो है जो मिरी रूह ताज़ा-दम कर दे