मेरे हिस्से में अब बचा क्या है अब सुना दो कि फ़ैसला क्या है उस का साहिल भी डूब जाएगा उस की साज़िश में ये छुपा क्या है वो जो मिल जाए उस से पूछूँगा मेरे बारे में सोचता क्या है जिस से रिश्ता नहीं है अब कोई उस से मिलने में फिर बुरा क्या है सोचता हूँ कि इस ज़माने से बच निकलने का रास्ता क्या है तू ख़ुदाओं से घिर गया नासेह तेरी बातों में अब धरा क्या है उस का एहसास है मगर 'सरवर' मैं नहीं जानता ख़ुदा क्या है