मेरे होने का मुझे पहले यक़ीं होने दे फिर अदम का तू मुझे तख़्त-नशीं होने दे वर्ना ये बात इबादत की रहेगी तिश्ना पहले तस्लीम के क़ाबिल ये जबीं होने दे तू मुझे जल्वा दिखा अपना मिरे सामने आ हश्र मूसा की तरह बा'द-अज़ीं होने दे मैं तिरी ज़ात का हिस्सा तो नहीं हूँ फिर भी मेरे मौला तू मुझे अर्श-नशीं होने दे तेरा इसबात मुकम्मल तभी होगा मुझ में पहले अंदर तो मिरे एक नहीं होने दे ख़ल्क़ अब सारी तिरी दाद-रसी को तरसे कल जो करना है तुझे आज यहीं होने दे