मेरे जैसा इस दुनिया में हो सकता है कौन जैसे मैं ने ख़ुद को ढोया ढो सकता है कौन धुल जाते हैं इक दिन आख़िर जैसे भी हों दाग़ मन का मैल और मैली चादर धो सकता है कौन पूरा चाँद और जगमग तारे यादों की बारात इस मौसम में मख़मल पर भी सो सकता है कौन ख़्वाबों की इक बस्ती जिस में सब हों ख़ुश-औक़ात इस बस्ती को आसानी से खो सकता है कौन मिट्टी का पानी से रिश्ता शायद है कमज़ोर वर्ना किश्त-ए-जाँ में काँटे बो सकता है कौन