मेरे काँधों पे उन का चेहरा नुमूद पाए तो ऐन-मुमकिन है मेरी हस्ती वजूद पाए ये अपने मुर्शिद से मैं ने सीखा है गिर्या करना उसी की निस्बत से फिर हक़ीक़ी सुजूद पाए निसार उस ख़्वाब के हुई है जो दीद उन की कि जिस की ता'बीर से लबों ने दरूद पाए ये हौसला ही तो है हमारा वगर्ना क्या है हम इश्क़ वाले जो इस तलातुम में कूद पाए बदन ज़मीं पर उगे वो कुछ इस तरह से 'तारिक़' कि उस के पैकर में मेरी मिट्टी वजूद पाए