आप ही दिल हैं और नज़र हैं आप मैं ने देखा जिधर उधर हैं आप मंज़िलें ख़ुद ही हो गईं आसाँ मैं हूँ राही तो राहबर हैं आप दोनों आलम की सैर करता हूँ हर-नफ़स मेरे हम-सफ़र हैं आप क्या अंधेरे डराएँगे मुझ को सामने मेरे जल्वा-गर हैं आप दुनिया वाले जो मुस्कुराते हैं क्या मोहब्बत की राह पर हैं आप चाँद तारे सलाम करते हैं रात दिन मेरे हम-सफ़र हैं आप सब को अपनी तरह समझ बैठे बा-ख़बर हो के बे-ख़बर हैं आप गिरने वालों को थाम लेते हैं दर्द-मंदों के चारागर हैं आप ये कशिश है 'ज़मीर' उल्फ़त की हम जिधर हो गए उधर हैं आप