मेरे ख़्वाबों को निगलने का इरादा न करे कह दो सूरज से निकलने का इरादा न करे उस से बढ़ कर कोई मुहताज नहीं हो सकता गिर के जो शख़्स सँभलने का इरादा न करे जो हवाओं के मिज़ाजों से नहीं है वाक़िफ़ मेरे हमराह वो चलने का इरादा न करे गुफ़्तुगू ज़हर-भरी सुन ले जो इंसानों की साँप भी ज़हर उगलने का इरादा न करे अपनी क़िस्मत में है मंज़िल तो ख़ुद आ जाएगी अब जुनूँ राह बदलने का इरादा न करे निय्यतें साफ़ घटाओं की नहीं हैं 'आलम' चाँद से कह दो निकलने का इरादा न करे