मेरे लिए दुनिया के क़ज़ाया को बनाया तेरे लिए आसाइश-ए-दुनिया को बनाया मज़रूफ़ से तक़दीम कहाँ ज़र्फ़ ने पाई दिल बा'द बना पहले तमन्ना को बनाया होता चला आता है ज़माना तह-ओ-बाला आ'ला को बिगाड़ा कभी अदना को बनाया मयख़ाना-ए-दुनिया में है इफ़रात-ए-मय-ए-इ'ज्ज़ झुकने के लिए गर्दन-ए-मीना को बनाया है गुफ़्त-ओ-शुनीद ऐसे से ऐ 'रश्क' कि जिस ने गोश-ए-शुनवा-ओ-लब-ए-गोया को बनाया