मिरी आहें मिरे नाले मिरी साँसें उस की सुब्ह है नाम उसी के मिरी शामें उस की उस ने भी खुल के किए प्यार के दा'वे मुझ से मैं भी ए'लानिया करने लगा बातें उस की फिर महकती हुई तन्हाइयों ने घेर लिया मौसम-ए-गुल की तरह आ गईं यादें उस की इंतिज़ार उस को हमा-वक़्त मिरा रहता है मिरी आहट से धड़क जाती हैं राहें उस की लाख गुम-कर्दा-ए-मंज़िल कहाँ जाए लेकिन ढूँड ही लेती हैं 'रिज़वाँ' को पनाहें उस की