न जाने कब के थमे अश्क थे छलक आए बहुत से दोस्त मुझे याद यक-ब-यक आए तिरी ही शब के सितारे नहीं बने आँसू न जाने कितने ही पलकों पे ये चमक आए जवाब दे गईं जब भी घुटी घुटी यादें तिरे ख़ुतूत के झोंके ख़ुनक ख़ुनक आए मिरा सफ़र था कहीं और बे-ख़ुदी की क़सम क़दम थे तेरी तरफ़ क्या करें भटक आए मुदाख़लत की फ़ज़ा तानते चलो 'रिज़वान' हवा की चाल में मुमकिन है कुछ लचक आए