मेरी आहों में असर हो ये ज़रूरी तो नहीं दर्द की सब को ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं इश्क़ तस्लीम मगर ताज-महल के जैसा हर किसी शख़्स का घर हो ये ज़रूरी तो नहीं सब की नज़रों के मुक़ाबिल नहीं जल्वे तेरे सब को मेराज-ए-नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं हर किसी का तो मुक़द्दर नहीं होते आँसू आँख हर एक की तर हो ये ज़रूरी तो नहीं कुछ नहीं है मिरी नज़रों में ये दुनिया 'मोहसिन' इस का एहसाँ मिरे सर हो ये ज़रूरी तो नहीं