मेरी आँखों में आँसू प्यारे घर तुम्हारा है तुम रहो प्यारे ग़ैर की बात में न तुम आना मैं कहूँ और तुम सुनो प्यारे लुत्फ़-ए-सोहबत मता-ए-उल्फ़त है कुछ कहो और कुछ सुनो प्यारे इक फ़रेब-ए-नज़र है कुछ भी नहीं ये गुलिस्तान-ए-रंग-ओ-बू प्यारे कौन कितना वफ़ा का है पाबंद फ़ैसला होगा मू-ब-मू प्यारे है तमन्ना तुम्हारी सब को मगर तुम हो आप अपनी आरज़ू प्यारे इक मोहब्बत है वो शिकायत भी जो करे कोई रू-ब-रू प्यारे हम न छोड़ेंगे शेवा-ए-तस्लीम तुम जो चाहो वो तुम करो प्यारे नाम-लेवा तुम्हारा है 'तरज़ी' आदमी की तरह मिलो प्यारे