मेरी हर बात पे बे-बात ख़फ़ा होते हो जाने क्या बात है दिन-रात ख़फ़ा होते हो चुप रहें वक़्त-ए-मुलाक़ात ख़फ़ा होते हो पूछ लें भूल से हालात ख़फ़ा होते हो बात ग़ैरों से तो हँस हँस के किया करते हो हम से होते ही मुलाक़ात ख़फ़ा होते हो दूर होते हो तो नाराज़ रहा करते हो पास रहते हो तो दिन रात ख़फ़ा होते हो जानता हूँ कि तुम्हें प्यार नहीं है मुझ से क्या ब-मजबूरी-ए-हालात ख़फ़ा होते हो