मेरी हर सोच में पोशीदा कहानी उस की सच बताऊँ तो हूँ ख़ुद मैं भी निशानी उस की उस को इसरार कि नज़दीक न आऊँ उस के मुझ पे कुछ ऐसा फ़ुसूँ एक न मानी उस की मुझ से मिलता है तो यूँ जैसे न हो मुँह में ज़बाँ और महफ़िल में कोई देखे रवानी उस की घर तिरा लाख पुराना सही लेकिन 'अंजुम' देख तस्वीर न हो जाए पुरानी उस की