मिरी जानिब निगाह-ए-नाज़ कर आहिस्ता आहिस्ता मिरे दिल के जज़ीरे में उतर आहिस्ता आहिस्ता मोहब्बत दोनों जानिब है तफ़ावुत सिर्फ़ इतना है इधर है तेज़-रौ लेकिन उधर आहिस्ता आहिस्ता तिरी बेटी का क़द तेरे बराबर हो गया शायद तू अपनी ख़ुद-कुशी पर ग़ौर कर आहिस्ता आहिस्ता सहर आई न आए वो सितारो जाओ सो जाओ कि अब चलते हैं हम भी अपने घर आहिस्ता आहिस्ता जो कल तक मेरी बर्बादी की क़स्में खाते फिरते थे वही अब हो रहे हैं दर-ब-दर आहिस्ता आहिस्ता न जाने रहरवान-ए-राह का अब हश्र क्या होगा भटकते जा रहे हैं राहबर आहिस्ता आहिस्ता ख़ुदा के वास्ते समझा-बुझा कर रोक ले कोई वो देखो जा रहे हैं रूठ कर आहिस्ता आहिस्ता अदावत दिल में रखना मुस्कुरा कर गुफ़्तुगू करना सभी को आ गया है ये हुनर आहिस्ता आहिस्ता निमट लूँ दोस्तों की दोस्ती से पहले ऐ 'हमज़ा' तो लूँगा दुश्मनों की भी ख़बर आहिस्ता आहिस्ता