मेरी तरह ज़रा भी तमाशा किए बग़ैर रो कर दिखाओ आँख को गीला किए बग़ैर ग़ैरत ने हसरतो का गरेबाँ पकड़ लिया हम लौट आए अर्ज़-ए-तमन्ना किए बग़ैर चेहरा हज़ार बार बदल लीजिए मगर माज़ी तो छोड़ता नहीं पीछा किए बग़ैर कुछ दोस्तों के दिल पे तो छुरियाँ सी चल गईं की उस ने मुझ से बात जो पर्दा किए बग़ैर