मिरी ज़िंदगी की तू ज़िंदगी सो क़रीब से मिरा हाल देख जो कभी किसी से हुआ नहीं वो किया है मैं ने कमाल देख ये मोहब्बतें भी नई नहीं न वो हसरतें ही जवाँ रहीं है उमीद तेरी मगर कहीं सो खिले खिले हैं ये गाल देख तुझे गो न मेरा ख़याल है नहीं मुझ को कोई मलाल है तिरे इश्क़ में तिरी चाह में मैं बनी हूँ कैसी मिसाल देख है अजब मक़ाम पे ज़िंदगी जो मिला सही न मिला सही न कमाल में है कोई ख़ुशी न सबब है ग़म का ज़वाल देख मिरा हाल गो है ख़राब अभी तू न फ़िक्र कर मिरे हाल की कि ख़िज़ाँ में बू है बहार की मिरे हाल में तू जमाल देख नहीं अन-कही कोई बात है न सबब कोई जो तू आ सके तू मगर कभी किसी याद से ज़रा झाँक कर मिरा हाल देख