मिला न कौन-ओ-मकाँ में तो ला-मकाँ देखा पर उस को देखा न उस का कोई निशाँ देखा जो उस में देखा परेशान-ओ-ख़स्ता-जाँ देखा ज़मीन-ए-कूचा-ए-क़ातिल को आसमाँ देखा जब अपने दिल में तिरा जल्वा ज़ौ-फ़िशाँ देखा न उस में फिर ग़म-ए-दुनिया को मेहमाँ देखा हर अश्क-ए-चश्म को तो दिल का तर्जुमाँ देखा दम-ए-ग़रीब को ही दिल का राज़-दाँ देखा उरूज हुस्न को हासिल है इश्क़ के दम से जहाँ में इश्क़ का फिर भी न क़द्र-दाँ देखा दिल-आज़मा है ज़ि-बस इश्क़ का ज़माना भी क़दम क़दम पे मोहब्बत में इम्तिहाँ देखा शगुफ़्ता हैं गुल-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर ख़िज़ाँ में भी सदा-बहार खिला दिल का बोस्ताँ देखा वो तिनके नज़्र हुए बर्क़-ओ-बाद-ए-सरसर के असीर जब से हुए फिर न आशियाँ देखा है दफ़्न जो तिरी तस्वीर-ए-बे-कसी 'जौहर' तिरे मज़ार पे हसरत को नौहा-ख़्वाँ देखा