मिरा ग़म था ना-मुकम्मल ग़म-ए-ना-गहाँ से पहले मिरी ज़ीस्त बे-मज़ा थी तिरे इम्तिहाँ से पहले ये मिज़ाज-ए-आशिक़ी है ये मिज़ाज-ए-ज़िंदगी है ग़म-ए-दोस्त चाहता हूँ ग़म-ए-दो-जहाँ से पहले तिरी याद से मुनव्वर हैं वो रास्ते अभी तक तिरी जुस्तुजू में गुज़रा मैं जहाँ जहाँ से पहले तिरे संग-ए-दर से पूछे कोई इस जबीं की क़ीमत जो कहीं न ख़म हुई हो तिरे आस्ताँ से पहले ये मक़ाम-ए-इश्क़ 'जौहर' है बड़ी ही सख़्त मंज़िल कई कारवाँ हुए गुम मिरे कारवाँ से पहले