मिला वो शख़्स मगर अर्सा-ए-बहार के बाद हज़ार चाँद सितारों के इंतिज़ार के बाद ज़मीं पे फूल खिले हैं तो किस ज़माने में मोहब्बतों से महकते हुए दयार के बाद तिरी तलाश में निकले हैं लाख दीवाने बड़े अज़ाब बड़े ज़ुल्म-ओ-इंतिशार के बाद हज़ार अहल-ए-तमन्ना से हम-कलाम रहा मगर मिली न तसल्ली सुकूत-ए-यार के बाद हमारा हाल तो उस से कहे कोई जा कर कि इंतिज़ार है उस का हर इंतिज़ार के बाद चराग़-ए-लाला-ओ-गुल हैं कि हैं बहुत रौशन वही बहार है हर मौसम-ए-बहार के बाद