मिले सफ़र में जो कर्ब-ओ-मलाल पूछेगा गले लगा के कोई मेरा हाल पूछेगा नहीं है दिल में अगर कुछ मलाल पूछेगा तो कैसे आया ये शीशे में बाल पूछेगा दिल-ए-तबाह की बेताबियों के बारे में बताओ क्या है तुम्हारा ख़याल पूछेगा सिखा दिया था बहलना जिन्हों ने ख़्वाबों से कहाँ गए वो हसीं माह-ओ-साल पूछेगा जवाब दे न सकूँ अपनी पलकें नम कर लूँ वो जान-बूझ कर ऐसे सवाल पूछेगा ज़रा सी बात को दिल से लगा के ऐ 'सीमा' लिया है सर पे ये कैसा वबाल पूछेगा