पल-दो-पल को उभरा ही था डूब गया शोर-शराबे में सन्नाटा डूब गया चंचल अरमानों का दरिया डूब गया रेग-ज़ार में दिल के क्या क्या डूब गया इश्क़ दोस्ती अज़्म-ए-वफ़ा और सच्चाई मजबूरी में हर इक जज़्बा डूब गया साहिल पर तो उस के लाखों साथी थे जब डूबा वो शख़्स अकेला डूब गया दूर उफ़ुक़ के पार तिलिस्मी वादी में वो देखो इक और सितारा डूब गया ख़ुश-हाली की धूप में संग संग रहा मेरे ज़ुल्मत में वो मेरा साया डूब गया आँखें थीं या वो मदिरा का सागर थीं क्या करता परदेसी प्यासा डूब गया कार-ए-ख़ैर में धन को लुटाया 'सीमा' ने किस ने कहा उस का सरमाया डूब गया