मिले तुम कहाँ की जुदा कर चले कहानी वही फिर सुना कर चले बड़ी देर से राह तकता रहा अभी आ रहे हो कि आ कर चले दिखाया वही जो न देखा कभी सुनाया वही जो सुना कर चले वफ़ा का अदा हक़ किया इस तरह जफ़ा पर जफ़ा पर जफ़ा कर चले ख़ता की न तुम से तो उम्मीद थी ख़ता क्या हुई कि ख़ता कर चले दुखों का न अपने तमाशा बने सभी ज़ख़्म उन से छुपा कर चले चला साथ तेरे तो सोचा नहीं मुझे तुम कहाँ ले उड़ा कर चले