माइल-ए-ज़ब्त भी आमादा-ए-फ़रियाद भी है दिल गिरफ़्तार-ए-मोहब्बत भी है आज़ाद भी है दास्तान-ए-दिल-ए-मायूस न पूछ ऐ हमदम ये वो बस्ती है जो आबाद भी बर्बाद भी है ऐ मिरे ज़ब्त को कामिल न समझने वाले क़ाबिल-ए-दाद मिरी कोशिश-ए-फ़रियाद भी है उड़ के जाऊँ भी तो क्या और न जाऊँ भी तो क्या मुंतज़िर बर्क़ भी है ताक में सय्याद भी है क्या लिखूँ क्या न लिखूँ सुर्ख़ी-ए-अफ़साना-ए-दिल ग़म भी है दर्द भी हसरत भी है फ़रियाद भी है दिल-ए-दीवाना की तो हस्ती-ए-हुशियार न पूछ ये गिरफ़्तार-ए-क़फ़स ताइर-ए-आज़ाद भी है मेरी तस्कीन तो कर भूल के इतना तो बता याद रखने का जो वा'दा था तुझे याद भी है इक 'रविश' दिल की हो ऐ 'अर्श' तो कुछ बात भी हो क्या मुसीबत है कि ये शाद भी नाशाद भी है