मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है नशेमन के लिए बेताब ताइर वहाँ पाबंदी-ए-परवाज़ भी है ख़मोशी पर भरोसा करने वाले ख़मोशी दर्द की ग़म्माज़ भी है है मेराज-ए-ख़िरद भी अर्श-ए-आज़म जुनूँ का फ़र्श पा-अंदाज़ भी है दिल-ए-बेगाना ख़ुद दुनिया में तेरा कोई हमदम कोई हमराज़ भी है कभी मुहताज लय का भी नहीं ये कभी नग़्मा रहीन-ए-साज़ भी है कभी तो दिल है महव-ए-बे-नियाज़ी कभी तौफ़-ए-हरीम-ए-नाज़ भी है तराना-हा-ए-साज़-ए-ज़िंदगी में इक आवाज़-ए-शिकस्त-ए-साज़ भी है