मिलोगे तुम नहीं चाहा करोगे बताओ आशिक़ी का क्या करोगे यक़ीं में तुम ने अपना दिल दिया था वफ़ा में जान तुम माँगा करोगे मैं अपनी हद से अब बेहद हुई हूँ तो क्या सोचे बिना लौटा करोगे लगाई है जो तुम ने आग जानम कभी क्या इस को तुम तापा करोगे उसी कमरे में अब भी हूँ अकेली तो क्या तुम याद बिन पीछा करोगे मोहब्बत में नहीं झुकना है तुम को कुँवारे नैन तुम घूमा करोगे कहीं रुकना नहीं फ़ितरत तुम्हारी कहाँ तक भौंरे बन भटका करोगे