अजब अफ़्वाह थी ''इंसाँ है फ़ानी'' है बा'द-ए-मौत भी इक ज़िंदगानी जहाँ में आँख क्या खोली कि देखा अदम अब है ज़मानी-ओ-मकानी ये महफ़िल है ख़िरद-मंदों की महफ़िल यहाँ किस से कहूँ दिल की कहानी अचानक हाथ में रा'शा ये कैसा अभी थी बाढ़ पर मेरी जवानी ज़बान-ए-बे-ज़बानी कौन समझे मियान-ए-मजमा'-ए-शोला-ए-बयानी