मिन्नतें करता था रुक जाओ मिरा कोई नहीं मेरे रोके से मगर कौन रुका कोई नहीं दोस्त माशूक़ सनम और ख़ुदा कोई नहीं मैं तो सब का हूँ पर अफ़्सोस मिरा कोई नहीं अब तो लाज़िम है कि वो शख़्स मिरा हो जाए अब तो दुनिया में मिरा उस के सिवा कोई नहीं उम्र भर साथ निभाने का ये वा'दा हाए उम्र भर साथ भला कोई रहा कोई नहीं मेरे मौला ये तिरे सात अरब लोगों में कोई भी मेरा नहीं है ब-ख़ुदा कोई नहीं बेवफ़ाई को बड़ा जुर्म बताने वाले याद है तू ने भी चल छोड़ हटा कोई नहीं मैं भी क़ाइल हूँ तिरी चारागरी का लेकिन इक मरज़ ऐसा भी है जिस की दवा कोई नहीं