मिरा क़िस्सा भी आएगा वफ़ा की दास्तानों में मुझे मत ढूँडते रहना जफ़ा की दास्तानों में मैं बिंत-ए-हव्वा इक दिन में बदल दूँगी ज़माने को मुझे मत क़ैद कर नाज़-ओ-अदा की दास्तानों में नज़र-अंदाज़ मुझ को कर नहीं सकती कभी दुनिया मुझे लिक्खा गया ज़ेहन-ए-रसा की दास्तानों में मिरा दिल तोड़ने वाले कभी सोचा है ये तू ने तिरा ही नाम आएगा सज़ा की दास्तानों में ज़रा पूछो हवाओं से कि ये कैसे मोअ'त्तर हैं मुझे पाओगे तुम बाद-ए-सबा की दास्तानों में मिरे शानों पे लहराते हुए बालों को मत छेड़ो मिरी ज़ुल्फ़ें भी शामिल हैं घटा की दास्तानों में खुला रक्खा 'इरम' ने दिल का दरवाज़ा तिरी ख़ातिर मिरा ही तज़्किरा होगा वफ़ा की दास्तानों में