मिरे हाल से नहीं बे-ख़बर मिरा कूज़ा-गर कि है शाह-रग से क़रीब-तर मिरा कूज़ा-गर कभी बख़्श दे मिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल को ताज़गी कभी नोच ले मिरे बाल-ओ-पर मिरा कूज़ा-गर कहीं जान-ए-जाँ कहीं मेहरबाँ कहीं राज़-दाँ कहीं नुक्ता-बीं, कहीं नुक्ता-वर मिरा कूज़ा-गर मिरी ख़ूबियों मिरी ख़ामियों से है बे-ख़बर नहीं बे-बसर नहीं कम-नज़र मिरा कूज़ा-गर मिरा आइना कभी संग-ओ-ख़िश्त में ढाल दे कभी तोड़ दे मुझे जोड़ कर मिरा कूज़ा-गर मुझे ऐसे लगता है मेरे जिस्म की ख़ाक को अभी और रक्खेगा चाक पर मिरा कूज़ा-गर मुझे रास्तों की सऊबतों से नहीं ख़तर मिरे साथ है मिरा हम-सफ़र मिरा कूज़ा-गर वही ज़ख़्म दे वही ज़ख़्म-ए-दिल की दवा करे मिरा मेहरबाँ मिरा चारा-गर मिरा कूज़ा-गर