ज़िंदगी को हराम मत करना शौक़ को बे-लगाम मत करना शोहरतें भी बुरी बलाएँ हैं इन को तुम अपने नाम मत करना हो न जाए गुमान सज्दों का इतना झुक कर सलाम मत करना लोग तुझ को सहल समझने लगें ख़ुद को इतना भी आम मत करना जिन से रुस्वाइयाँ हो दामन में भूल कर भी वो काम मत करना ज़र-परस्तों से राह-ओ-रस्म हो पर ज़ेहन-ओ-दिल को ग़ुलाम मत करना जिस में हो ज़र्फ़ की कमी 'ख़ुर्शीद' उस का तुम एहतिराम मत करना