मिरे रोग का न मलाल कर मिरे चारा-गर मैं बड़ा हुआ उसे पाल कर मिरे चारा-गर सभी दर्द चुन मिरे जिस्म से किसी इस्म से मिरा अंग अंग बहाल कर मिरे चारा-गर मुझे सी दे सोज़न-ए-दर्द रिश्ता-ए-ज़र्द से मुझे ज़ब्त-ए-ग़म से बहाल कर मिरे चारा-गर मुझे चीर नश्तर-ए-इश्क़ सोज़-ए-सरिश्क से मिरा इंदिमाल-ए-मुहाल कर मिरे चारा-गर ये बदन के आरज़ी घाव हैं उन्हें छोड़ दे मिरे ज़ख़्म-ए-दिल का ख़याल कर मिरे चारा-गर फ़क़त एक क़तरा-ए-अश्क मेरा इलाज है मुझे मुब्तला-ए-मलाल कर मिरे चारा-गर में जहान दर्द में खो गया तुझे क्या मिला मुझे इम्तिहान में डाल कर मिरे चारा-गर मुझे अपने ज़ख़्म की ख़ुद भी कोई ख़बर नहीं सो न मुझ से कोई सवाल कर मिरे चारा-गर तिरा हाल देख के रोएगा तिरा चारा-गर मिरा दिल न देख निकाल कर मिरे चारा-गर