मिरे सिपुर्द किया है न ख़ुद लिया है मुझे किसी ने हैरत-ए-इम्काँ में रख दिया है मुझे बचा नहीं मैं ज़रा भी बदन के बर्तन में तिरे ख़याल ने बे-साख़्ता पिया है मुझे तू एक शख़्स है लेकिन तिरी मोहब्बत में दिल-ओ-दिमाग़ ने तक़्सीम कर दिया है मुझे मैं अपनी सम्त भी देखूँ तो कुफ़्र लगता है ख़ुदा ने याद बड़ी चाह से किया है मुझे जुदाई रंज उदासी अंधेरा ख़ौफ़ घुटन हर एक यार ने दिल खोल कर जिया है मुझे तुम्हारे बा'द नहीं अब किसी की गुंजाइश कि तुम ने इतना मोहब्बत से भर दिया है मुझे