मिरे सूने उजड़े दयार में कभी दो घड़ी ही क़याम कर हो जो दिल तो उस में सुकून ले तिरा जी करे तो ख़िराम कर मैं तमाम उम्र गुज़ार दूँ जिसे सोचते जिसे चाहते तू जो कर सके मिरे हम-नवा तो वो एक पल मिरे नाम कर मुझे अपने दिल का वो राज़ दे जो ख़ुशी से मुझ को नवाज़ दे वो जो मुझ में रूह सी फूँक दे किसी रोज़ ऐसा कलाम कर मिरी धड़कनों का ये सिलसिला तिरे प्यार से है रवाँ-दवाँ तू जो चाहे इस को दवाम दे जो नहीं तो इस को तमाम कर सर-ए-शाम मुझ से तू मिल वहाँ जहाँ उजलतों का न हो निशाँ कहीं दूर तक यूँ ही साथ चल मिरा हाथ हाथ में थाम कर तिरी चाहतों का फ़क़ीर हूँ मुझे क़ुर्बतों की नियाज़ दे ज़रा पास आ के तू मिल मुझे यूँही दूर से न सलाम कर कोई काम करना है गर 'ज़की' तो ये काम कर मिरे दोस्ता कहीं नफ़रतों को न जा मिले तू मोहब्बतों को यूँ आम कर