मिरी आँखों में जो थोड़ी सी नमी रह गई है बस यही इश्क़ की सौग़ात बची रह गई है वक़्त के साथ ही गुल हो गए वहशत के चराग़ इक सियाही है जो ताक़ों पे अभी रह गई है और कुछ देर ठहर ऐ मिरी बीनाई कि मैं देख लूँ रूह में जो बख़िया-गरी रह गई है आईनो तुम ही कहो क्या है मिरे होंटों पर लोग कहते हैं कि फीकी सी हँसी रह गई है बोझ सूरज का तो मैं कब का उतार आया मगर धूप जो सर पे धरी थी सो धरी रह गई है कुछ बता ऐ मरे निस्यान ये क्या माजरा है बात जो भूलने वाली थी वही रह गई है यूँ तो इस घर के दर-ओ-बाम सभी टूट गए हाँ मगर बीच की दीवार अभी रह गई है सोचता हूँ कि तसव्वुर को समेटूँ कैसे बिस्तर-ए-ख़्वाब पे भी आँख खुली रह गई है जाने क्या बात है मौसम में 'ज़िया' अब के बरस धूप के होते हुए बर्फ़ जमी रह गई है